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परीक्षा के लिए आवश्यक नियम

बी०टी०सी० प्रशिक्षण कार्यक्रम को व्यावहारिक एवं गुणवत्तायुक्त बनाने के लिए पाठ्यक्रम की विषयवस्तु तथा प्रयोगात्मक कार्य के लिए निम्नानुसार परीक्षा के नियम निर्धारित किए गए हैं-

उपस्थिति

  • बी०टी०सी० द्विवर्षीय प्रशिक्षण की अवधि में प्रत्येक सेमेस्टर में कुल कार्यदिवसों में 90 प्रतिशत उपस्थिति अनिवार्य है। 90 प्रतिशत से कम उपस्थिति होने पर प्रशिक्षु परीक्षा मे सम्मिलित नहीं हो सकेंगे।
  • 90 प्रतिशत से कम उपस्थिति वाले प्रशिक्षु को संबंधित सेमेस्टर (उसी) में पुन: नामांकन कराना होगा और यह सुविधा उसे केवल एक बार ही मिल पायेगी।
  • यदि प्रशिक्षु की उपस्थिति गम्भीर बीमारी अथवा अन्य किन्ही अपरिहार्य कारणों से मानक से अधिकतम 10 प्रतिशत तक कम होती है तो प्रशिक्षु की प्रार्थना पर 5 प्रतिशत या 5 प्रतिशत से कम की छुट प्राचार्य के द्वारा तथा 5 प्रतिशत से अधिक तथा 10 प्रतिशत तक की छुट निदेशक एन०सी०ई०आर०टी० द्वारा प्राचार्य की संस्तुति पर सम्यक विचारोपरान्त दी जा सकती है। 10 प्रतिशत से अधिक की छुट सम्भव नहीं होगी।

परीक्षा

  • प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय सेमेस्टर में निर्धारित विषयों की लिखित परीक्षाएं तथा चतुर्थ सेमेस्टर में विज्ञान, कम्प्युटर, समाजोपयोगी उत्पाद कार्य, कला एवं संगीत व शारीरिक शिक्षा एवं स्वास्थ्य की प्रयोगात्मक परीक्षा और कला-शिक्षण की प्रायोगिक परीक्षा का संचालन ‘परीक्षा नियामक अधिकारी, उ०प्र०’ द्वारा किया जाएगा।
  • प्रशिक्षु के उत्तीर्ण होने के लिए प्रत्येक विषय की लिखित परीक्षा में 40 प्रतिशत अंक तथा कक्षा-शिक्षण, प्रायोगिक कार्य व आन्तरिक मूल्यांकन में 50 प्रतिशत अंक अर्जित करना अनिवार्य है।
  • प्रशिक्षु को वाह्य एवं आंतरिक परीक्षा में अलग-अलग उत्तीर्ण होना आवश्यक है। वाह्य एवं आन्तरिक परीक्षा में अर्जित किए गए अंको को एक ही अंक-पत्र मे अंकित किया जाएगा।
  • प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय सेमेस्टर में प्रत्येक सेमेस्टर की परीक्षा के उपरांत अलग-अलग अंक-पत्र प्रदान किए जायेंगे तथा चतुर्थ सेमेस्टर के अंक पत्र में पिछले तीनों सेमेस्टर की परीक्षा के प्राप्तांक एवं पूर्णांक का योग भी सम्मिलित होगा। चारों सेमेस्टर के योग के आधार पर प्रशिक्षु को श्रेणी प्रदान की जाएगी।
  • यदि कोई प्रशिक्षु एक सेमेस्टर की परीक्षा में तीन विषयों मे अनूत्तीर्ण होता है तो उसे अगले सेमेस्टर में सशर्त (प्रोविजनल) प्रवेश दे दिया जायेगा। उसे प्रत्येक सेमेस्टर में केवल एक ही बार बैक-पेपर (अनूत्तीर्ण विषयों की परीक्षा) देने का अवसर प्रदान किया जायेगा बैक-पेपर की परीक्षा अगले सेमेस्टर की परीक्षा के साथ आयोजित की जाएगी।
  • यदि प्रशिक्षु बैक-पेपर की परीक्षा में उत्तीर्ण नहीं तोता है तो उसका प्रोविजनल-प्रवेश निरस्त कर दिया जायेगा और उसे पिछले सेमेस्टर में पुन: प्रवेश लेना होगा। यह छुट भी उसे केवल एक बार ही प्रदान की जाएगी।

उत्तर-पुस्तिका की सन्निरीक्षा (स्क्रूटनी)

  • यदि प्रशिक्षु किसी भी विषय की उत्तर-पुस्तिका की स्क्रूटनी कराना चाहता है तो उसे परीक्षा परिणाम घोषित होने की तिथि से 30 दिन के अंदर डायट गोरखपुर में आवेदन प्रस्तुत करना होगा।
  • प्रशिक्षु अधिकतम दो विषयों की ही स्क्रूटनी करा सकता है।
  • स्क्रूटनी शुल्क का निर्धारण ‘परीक्षा नियामक प्राधिकारी, इलाहाबाद, उ०प्र०’ द्वारा किया जायेगा।
  • किसी भी विषय की उत्तर-पुस्तिका की स्क्रूटनी का अवसर केवल एक बार ही मिलेगा।
  • प्रायोगिक कार्य के मूल्यांकन में स्क्रूटनी का प्रविधान नहीं होगा।
  • किसी भी विषय की उत्तर-पुस्तिका की स्क्रूटनी निम्नलिखित बिन्दुओं के अनुसार की जाएगी-
    • यदि उत्तर-पुस्तिका के मूल्यांकन में किसी प्रश्न के उत्तर को अंक नहीं दिये गए हैं तो ऐसे प्रश्न के सही उत्तर को अंक देना होगा।
    • यदि प्राप्तांकों के योग में त्रुटि है तो उसे संशोधन किया जायेगा।
    • यदि स्क्रूटनी में प्राप्त संशोधित अंक पूर्व प्राप्तांकों से अधिक हों, तभी स्क्रूटनी को प्रभावी माना जायेगा अन्यथा की स्थिति में अंक यथावत रहेंगे।
  • किसी भी सेमेस्टर की लिखित एवं प्रयोगात्मक परीक्षा (आन्तरिक एवं वाह्य) में आंशिक एवं पूर्व अनुपस्थिति की दशा में प्रशिक्षु अनूत्तीर्ण समझा जायेगा।
  • परीक्षा अवधि में मेडिकल-अवकाश लेने की दशा में प्रशिक्षु को अनुत्तीर्ण समझा जायेगा और उसे नियमानुसार पुन: परीक्षा उत्तीर्ण करना होगा।
  • प्रशिक्षु को प्राप्तांकों के आधार पर प्रदान की जाने वाली श्रेणी निम्नवत होंगी-

लिखित परीक्षा

प्राप्तांकों का प्रतिशत    श्रेणी

60 या उससे अधिक       प्रथम (I)

50 से 59.99 तक          द्वितीय (II)

40 से 49.99 तक          तृतीय (III)

40 से कम पर               अनुत्तीर्ण

विशेष योग्यता

  • जिन विषयों में प्रशिक्षु 75 प्रतिशत और उससे अधिक अंक अर्जित करेगा, उन विषयों मे उसकी विशेष योग्यता मानी जाएगी।
  • वाह्य परीक्षा द्वारा कक्षा-शिक्षण एवं प्रायोगिक कार्य तथा आन्तरिक मूल्यांकन के योग के आधार पर श्रेणी विभाजन निम्नवत होगा-

प्राप्तांकों का प्रतिशत     श्रेणी

70 या उससे अधिक         प्रथम

60 से 69.99 तक            द्वितीय

50 से 59.99 तक             तृतीय

50 से कम पर                  अनुत्तीर्ण

कृपांक (ग्रेस मार्क)

  • प्रशिक्षु के लिखित परीक्षा में एक अथवा दो विषयों में अनुत्तीर्ण होने की स्थिति में उसे एक या दोनों विषयों में मिलाकर अधिकतम 10 अंक का कृपांक दिया जायेगा। यह कृपांक तभी देय होगा जब उस सेमेस्टर की परीक्षा में उसका योगाङ्क 40 प्रतिशत या उससे अधिक हो। यह कृपांक श्रेणी प्रदान करने हेतु योग में सम्मिलित नही किया जायेगा।
  • प्रायोगिक एवं आन्तरिक परीक्षा में कोई कृपांक देय नही होगा।